Tuesday, August 13, 2013

चार पंक्तियाँ

कहने की सब बाते कह दी,
दूर दूर तुम रहते हो ,
सिखा के सारी प्यार के किस्से ,
फिर जुदा क्यों होते हो. 
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 प्यारी तुम्हारी बातें है,
प्यारी तुम्हारी नखरे,
एक बार तो कह भी दो.,
दोस्त है तुम्हारे अपने 
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छोटी छोटी बातों पे हम तकरार नही करते,
इन छोटी छोटी बातों को दिल पे नही लेते,
झगड़ने का मजा तो कुछ और है दोस्त,
दोस्ती की सुरुवात तो झगड़े से ही होती है.
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मेरी तक़दीर ने मुझे सब कुछ सिखा दिया,
एक फैसला हमें हस कर रुला दिया,
बात दिल की नही थी दिमाग की है,
जाते जाते वो हमें जीना सिखा गया 
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खुद ही अपना मजाक बना कर देखो,
खुद ही अपना हंसी उड़ा कर देखो,
ये दुनिया हसीं लगने लगेगी तब,
खुद को ही अपना दोस्त बना कर देखो.
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बर्दास्त करने का हद अब काफी हो गया
दिल में दर्द सहने का मैं अब आदि हो गया..
हालात दिल की बुरी हो तो संभल कर रह
वरना यंहा नमक डालने वाले बहुत आते है...

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संवाद की तह तक जाना, करुण पुकार समझ लेना,
रसहीन सी वाणी हो, तुम अर्थहीन हो समझ लेना,
दुखमय जीवन सुखमय जीवन, अंतर्मन की आशा है,
संचय करना कर्मों का, जीवन की एक परिभाषा है. 
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