साहिलों को नजदीकियों की फिकर,
होसलो को ताकत की फिकर,
न जाने कौन से रास्ते पर,
हम बदल जाते है.
डर तब भी लगती थी.
दिल तब भी जलता था,
वक़्त के तकाजों की कसम,
हम बदल जाते है.
मस्त होना, होकर जीना,
ये हमारी दिल की आरजू है,
नए नए रास्तो पर अक्सर,
हम बदल जाते है.
चलते है हम अपनी धुन में,
या गलियों की पगडंडियों में,
ये रास्तो के फासलों में अक्सर,
हम बदल जाते है.