एक चुभन भी तेज दर्द का एहसास,
होता नही है मुझे भी आभास,
जख्म एक हो क्या है,
जख्म की जंजीरे है तो अच्छा है.
माना मैं मानता हूँ तुम्हे दिल से,
और ये बोलने का हक़ पा लिया है,
कुछ ज्यादा बोलना क्या है,
ज्यादा नही बोलना भी अच्छा है.
जाएगी कहाँ तू मुझे भूल कर,
दिल में एक छाप छोड़े जा रहा हूँ,
अगर दिल से किया तो क्या है,
अगर याद नही किया वो भी अच्छा है.
चलो हमने माना गलती हुई मुझसे,
तुम तो माफ़ कर दिया करती हो,
अगर दिल से किया तो क्या है,
अगर माफ़ नही किया वो भी अच्छा है.
होता नही है मुझे भी आभास,
जख्म एक हो क्या है,
जख्म की जंजीरे है तो अच्छा है.
माना मैं मानता हूँ तुम्हे दिल से,
और ये बोलने का हक़ पा लिया है,
कुछ ज्यादा बोलना क्या है,
ज्यादा नही बोलना भी अच्छा है.
जाएगी कहाँ तू मुझे भूल कर,
दिल में एक छाप छोड़े जा रहा हूँ,
अगर दिल से किया तो क्या है,
अगर याद नही किया वो भी अच्छा है.
चलो हमने माना गलती हुई मुझसे,
तुम तो माफ़ कर दिया करती हो,
अगर दिल से किया तो क्या है,
अगर माफ़ नही किया वो भी अच्छा है.