Monday, December 26, 2011

मेरे प्रियतम

मेरे प्रियतम मेरे दोस्त,
एक गुजारिस सुन लो,
अपने हाथों को मेरे हाथों
के साथ मिला कर चलो,
बहुत दूर जाना है, जिंदगी के सफ़र में,
बस साथ चलने का वादा कर लो,
एक प्यार का फुल खिला
हम दोनों को अपना जान मिला,
दिल की बातों में ख्वाहिसे सारी
जब दिल मिलते है, मोती मिलते है,
जब ख्वाब मिले दिल मिलते है,
बस सफ़र में साथ चलने का वादा कर लो,
मेरे प्रियतम मेरे दोस्त,
एक गुजारिस सुन लो.

Friday, December 23, 2011

नहीं जान पाई मैं...

अपनी एहसासों को शब्द नही दे पाई मैं,
उनमे छुपे दर्द को नहीं कह पाई मैं,
सोचा था बिन कहे समझ जाओगे,
इतने अर्थहीन हो तुम नहीं जान पाई मैं.


पलके सजी हुई भी तब भी,
बहने से आंसू को रोका था तुमने,
लगा था जरुरत नही अब इनकी,
उम्र भर रुलाओगे तुम नहीं जान पाई मैं,

लौटी भी इन होठों की हंसी,
जिनकी राह दिखाई थी तुमने,
लगा था जिंदगी संवर गयी मेरी,
इस कदर बिगड़ जाओगे तुम नहीं जान पाई मैं.

खुद को ही नही समझ पाई मैं,
अपना अस्तित्व भी नहीं ढूढ़ पाई मैं,
सोचा था जिनकी वजह  बनोगे,
यूँ राह में छोड़ जाओगे तुम नहीं जान पाई मैं.

पंछी की पीड़ा

एक पंछी आसमान में उड़ना चाहती है,
अपनी तमाम इच्छाओ से मिलना चाहती है,
किससे करे जाहिर अपने दिल की बातों को,
कौन सुनेगा उसकी वह कहना चाहती है,
एक पंछी आसमान में उड़ना चाहती है.

पिंजड़े के अन्दर इच्छाओ से बातें करना,
अपने आंसू खुद को ही पोछना,
सारे एसो आराम उस पर लुटाई जा रही है,
फिर भी अपने दिल की बातों को कहना चाहती है,
एक पंछी आसमान में उड़ना चाहती है.

बंधन

जुड़ जायेगा ये बंधन मेरा,
बस एक मुलाकात होने दे,
रह जाएगी एक दिल में कसक,
बस एक गुनाह होने दे,
आरजू तुमसे है ये जान ले तू,
बस एक लम्हा तेरे संग गुजार लेने दे,
प्यार है तुमसे ये जान ले तू,
इस प्यार को हकीकत हो जाने दे,
इस फिजा की महक मेरे दिल में,
मेरे दिल की गहराइयों में इसे खो जाने को...

Friday, December 16, 2011

जिंदगी को जीते देखा हूँ मैं

कठिनाइयों के बीच खड़े होकर
जिंदगी को जीते देखा हूँ मैं,
अक्सर बीतते जिंदगी को ,
बिलखते देखा हूँ मैं,

तंग रास्तों पर डगर की तलाश में,
हजारों को गुमसुम देखा,
बस इन्ही गुमसुम रास्तों पर
आदमी को जीतते देखा हूँ मैं,

ये बदलती दुनिया को
दुनिया की खबर नही बस,
यही कहानी की आवाज़,
गूंजते देखा हूँ मैं,

डाल कर कोई आहट वक़्त का
नजरों से परे होता है,
बस इसी नजरों को अपने
आप पर झुकते देखा हूँ मैं।

फूलों की पत्तियां

बस इन फूलों की पत्तियों को देखो,
कितनी शांत सी प्रतीत होती है,
बेसक हमसे कुछ न कहती है,
पर इनके अन्दर भी समंदर भरा है,
खुद को न्योछवर करने वाली
एक मात्र उसकी पीड़ा है,
सुन्दर दिखने वाले फूल को बनाते है वो,
दिन रात उसकी सुन्दरता बढ़ाते है वो,
फिर भी दुःख इस बात की है उसे,
इतनी प्रयास का फल ना मिलता उसे,
कोई आकर उस अनुपम सुन्दरता को,
अपने कठोर हाथों से निर्मल कोमल फूल को,
तोड़ कर उसकी गरिमा घटाती है,
फिर भी इस फूलों की पत्तियों को देखो
कितनी शांत सी प्रतीत होती है।

Wednesday, December 14, 2011

सपने को हकीकत बनाये रखना

हकीकत बनाये रखना,
सपने जवां तू रखना
बातों में जो दिल्लगी है,
उसे संभाले रखना,
आदत हमारी ये है,
तुमसे करू मैं बातें
ये आदत हमारी,
यु ही बसाये रखना,
चाहत हमारी ये थी,
हासिल करू मैं तुझको,
देखा जो सपना मैंने
कोई बुराई नहीं है,
बस उस सपने को
हकीकत बनाये रखना......

जहन

आज बरसो के बाद तेरी याद चली आई है दिल में,
आँखों में अश्को के समंदर बहाया है,
जो बची थी दिल में तेरी याद उसे भी जगाया है,
आज बरसो के बाद तेरी याद चली आई है दिल में

होकर होना था तो मेरी बनी होती तुम,
यु वक्त बेवक्त तेरी याद क्यूँ आई है,
जो बची थी दिल में तेरी याद उसे भी जगाया है,
आज बरसो के बाद तेरी याद चली आई है दिल में

इन्तेजार तो मैंने बहुत किया इस्केमंजर पर
ना आई तू न तेरी याद आई है,
जो दफ़न हो गयी थी दिल में तेरी याद उसे भी जगाया है,
आज बरसो के बाद तेरी याद चली आई है दिल में,

इश्क

इश्क चीज़ को मुद्दतों के बाद पाया है,
 पाकर अपने दिल को बहलाया है, 
काश कोई आकर मुझे समझाया होता, 
ये इश्क मुझे रोया रुलाया है। 

 न तुम से होती बातें रोज मेरी, 
न मैं होता तेरा बरसो से काजी, 
नैनों ने ही मेरा दिल दिल छीन लिया है, 
ये इश्क मुझे रोया रुलाया है। 

 ये जानेमन ये इश्क तुने क्यूँ किया? 
किया तो किया मुझसे ही क्यूँ किया? 
काजल से काली तेरी परछाई पाया है, 
ये इश्क मुझे रोया रुलाया है।